CM Naljal Yojna Kya hai | मुख्यमंत्री पेयजल या नल जल योजना क्या है

CM-Nal-Jal-Yojna-Kya-hai-bihar | What is CM Nal Jal Yojna

CM Nal Jal Yojna in Bihar CM Nal Jal Yojna

 मुख्यमंत्री नल जल योजना का उद्देश्य है कि प्रत्येक घर को पुरे साल पाईप द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है।
 मुख्यमंत्री नल जल योजना पूरी तरह से आपके द्वारा बनायी जायेगी, इसके मालिक आप होंगे और इसके रखरखाव की जिम्मेवारी भी आपकी होगी।

मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल योजना या मुख्यमंत्री
नल जल योजना

मुख्यमंत्री नल जल योजना के तहत पीने का पानी हर घर तक उपलब्ध कराने का सबसे अच्छा तरीका है।

इससे पानी साल भर आपके घर के अन्दर नल से लगातार मिलेगा।

खाना बनाने, नहाने के लिए पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल आपको मिलेगा।

 नल का जल इस्तेमाल करने के क्या फायदे हैं

हर घर नल का जल उपलब्ध होने से विशेषकर महिलाओं की काफी सहायता हो जायेगी। उन्हें बाहर या घर से दूर जाकर पानी ढोकर नहीं लाना पड़ेगा। इस बचे हुये समय का सदुपयोग घर एवं बच्चों की देखभाल या अन्य किसी कार्य में कर सकेंगी। उन्हें अपने लिये भी ज्यादा समय मिलेगा जिससे वे खुद को आर्थिक रूप से भी अधिक सशक्त कर पायेंगी।

पानी दूर से लाने के क्रम में गर्दनपीठ, एवं कमर की हड्डी एवं मासपेशियों पर दबाब पड़ता है तथा दर्द की शिकायत होती है। जिससे उम्र बढ़ने पर सामान्य काम करने पर भी तकलीफ होती है।

जब हमें मुफ्त में ही पानी मिल रहा है तो इसके लिए हम उपभोक्ता शुल्क क्यों दें ?

मुख्यमंत्री पेयजल योजना समुदाय के लिए एवं समुदाय द्वारा ही संचालित होना है। इसका रखरखाव पेयजल उपयोग करने वाले समुदाय को ही करना है। योजना संचालन के लिए एक मोटर ऑपरेटर एवं बिजली मिस्त्री को मानदेय पर रखना होगा जिसके लिए राशि की आवश्यकता होगी। साथ ही रखरखाव के लिए सामान भी खरीदना होगा जिसपर हुये खर्चे को उपभोक्ता शुल्क से पूरा किया जायेगा। अतः उपभोक्ता शुल्क देना आवश्यक है। अन्यथा रखरखाव के अभाव में योजना मृतप्राय हो जायेगी।

अभी जो पानी हम पी रहे हैं वह कम गहराई वाले नलकूप या अन्य स्रोतों से प्राप्त करते हैं तथा घर तक पानी लाने के  क्रम में पानी के प्रदूषित होने का खतरा रहता है जिससे कई प्रकार की जलजनित बीमारियाँ होती हैं।  लगभग 80 प्रतिशत बीमारियाँ भारत में दूषित पानी पीने के कारण होती हैं। (अभी तक लगभग 70,000 जल प्रदूषक खोजे जा चुके हैं जो हमें बीमार करते हैं। )

भारत में हर साल लगभग 1000 बच्चे प्रतिदिन डायरिया के कारण मरते हैं, जो एक जलजनित बीमारी है। अन्य जलजनित बीमारियाँ हैं कालरा, पेचीस (दस्त), टाईफाईड, पोलियों, हिपेटाईटिस, पेट में कृमि आदि।

यह पाया गया है कि घरेलू आमदनी का लगभग 10 प्रतिशत प्रति व्यक्ति प्रति परिवार का खर्च इन जलजनित बीमारियाँ के इलाज पर खर्च हो जाता है। अर्थात अगर आपकी आमदनी 1000 रूपये है तो एक व्यक्ति के बीमारी के इलाज पर हर महीने लगभग 100 रूपये खर्च हो जाते है, जिसे केवल शुद्ध जल पीने से बचाया जा सकता है।

 भारत में हर साल 112 करोड़ रूपये इन बिमारियों पर खर्च होता है। इससे लगभग 20 करोड़ लोग हर साल काम पर नहीं जा पाते हैं।

क्या मुख्यमंत्री पेयजल योजना के द्वारा पाईप के माध्यम से हर घर तक पेयजल उपलब्ध होगा 

हाँ, इस योजना की बड़ी बात यही है। इसमें आपके तथा वार्ड के अन्य सभी घरों में आपकी आवश्यकता के अनुसार सुरक्षित पानी मिलेगा।

 

प्रति वार्ड लगभग घरों की संख्या कितनी है ?

 

 प्रति वार्ड घरों की संख्या लगभग
150
से 155 है। आबादी लगभग 1000
है

 

मुख्यमंत्री पेयजल योजना के लिए वार्डों का चयन किस प्रकार किया जायेगा

मुख्यमंत्री
पेयजल योजना के अन्तर्गत
चार
वर्षों
में
आपके
पंचायत
के
सभी
वार्डों
में
नल
का
जल
पहुंचाया
जायेगा।
इसके
लिए
पहले
और
चौथे
साल
में
20-20
प्रतिशत
वार्ड
तथा
दूसरे
और
तीसरे
साल
में
30-30
प्रतिशत
वार्ड
में
योजना
निर्माण
के
लिए
राशि
दी
जायेगी।
(
उदाहरण
के
लिए
अगर
आपके
पंचायत
में
चौदह
वार्ड
हैं
तो
पहले
और
चौथे
साल
में
तीनतीन
वार्ड
तथा
दूसरे
और
तीसरे
साल
में
चारचार
वार्ड
में
योजना
निर्माण
के
लिए
राशि
दी
जायेगी

मुख्यमंत्री पेयजल योजना के लिए वार्ड के चयन का आधार क्या होगा?

योजना में वार्ड की प्राथमिकता सूची बनाने के लिए वार्ड में रह रहे अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या और कुल जनसंख्या  आधार होगा।

सबसे पहले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या पंचायत के जिस वार्ड में सबसे ज्यादा होगी उसका चुनाव किया जायेगा। उसके बाद उससे कम अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाले वार्ड का चयन किया जायेगा और इसी तरह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जनसंख्या के घटते क्रम में बचे हुये वार्डों को चुना जायगा।

एक बार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वाले सभी वार्डों का चयन योजना के लिए हो जायेगा तब बचे हुये वार्डों को उनके कुल जनसंख्या, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या भी शामिल होगी के आधार पर चुना जायेगा। इसमें भी पहले सबसे अधिक जनसंख्या वाले वार्ड को चुना जायेगा और इसी तरह उससे कम, फिर उससे कम जनसंख्या वाले वार्ड  को चुनते हुए सभी वार्डों में योजना को चालू किया जायेगा।

मुख्यमंत्री पेयजल योजना में शुद्ध पानी की लगातार व्यवस्था कहाँ से की जायेगी ?

शुद्ध पानी की लगातार व्यवस्था के लिए वार्ड में ही भूमिगत जलस्रोत का चयन किया जायेगा। यह बेतहर होगा कि यह जल स्रोत सरकारी भूमि अथवा गाँव/वार्ड की सार्वजनिक भूमि पर हो। ऐसा स्थल उपलब्ध नहीं होने पर आपसी सहमति से किसी व्यक्ति के जमीन पर भी जलस्रोत का चयन किया जा सकता है।

भूमिगत जलस्रोत से पानी कैसे निकाला जायेगा ?

भूमिगत जलस्रोत से पानी निकालने के लिए नलकूप/बोरिंग का उपयोग किया जायेगा जिसमें बिजली से चलने वाला पम्पसेट लगा होगा।

क्या भूमिगत जल को सीधे घरों तक पहुँचाया जायेगा ?

भूमिगत जल को
नलकूप/बोरिंग
एवं
पम्पसेट
के
द्वारा
पहले
पानी
टंकी
में
जमा
किया
जायेगा,
जो
कि
औसतन
150
घरों
के
लिए
5
हजार
लीटर
क्षमता
(
सिनटेक्स
या
किसी
अन्य
प्रमाणित
कम्पनी)
वाला
होगा।

पानी की टंकी ऐसे ऊँचे स्थान पर रखी जायेगी जहाँ से हर घर में पानी आसानी से पहुँचाया जा सके।

पानी की जरूरत और वार्ड की जनसंख्या को देखते हुए टंकी की संख्या 1 या 2 हो सकती है।

14 नल का जल हर घर तक कैसे पहुँचाया जायेगा?

 शुद्ध पानी को पानी टंकी से तीन फीट भूमिगत PVC पाईप से वार्ड के हर गली तक पहुँचाया जायेगा और गली से ½ इन्च PVC पाईप द्वारा वार्ड के हर घर तक पहुँचाया जायेगा।

हर घर में कितने नल का कनेक्शन दिया जायेगा ?

योजना के अन्तर्गत हर घर को अधिक्तम तीन कनेक्शन (रसोई घर, स्नान घर एवं शौचालय में) दिया जायेगा। परिवार की सुविधा के अनुसार रसोई घर का नल रसोई घर के बाहर या किसी अन्य सुविधाजनक स्थान पर भी लगाया जा सकता है।

योजना के अन्तर्गत तीनों नल वितरण पाईप सहित लगाया जायेगा तथा वितरण पाईप की अधिकतम लम्बाई 25 फीट के अंदर तक योजना में सन्निहित होगी। 25 फीट से ज्यादा पाईप की आवश्यकता होने पर इसके व्यय का वहन घर वालों द्वारा करना होगा।

इन तीन स्थानों का चयन आपकी सुविधा के लिए किया गया है। रोज के काम के लिए पानी की जरूरत खाना बनाने और पीने, नहाने और शौचालय में इस्तेमाल के लिए होती है। यह भी ध्यान देने की बात है कि आपके घर में शौचालय बनाने के लिए भी सरकार एक अलग योजना (लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान) से राशि उपलब्ध करा रही है। शौचालय को साफ रखने में भी आप नल के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं जो आपको घर में ही मिल जायेगा।

हर माह जो उपभोक्ता शुल्क लिया जायेगा उसका क्या होगा ?

उपभोक्ता शुल्क का उपयोग योजना संचालन के लिए मोटर ऑपरेटर का मानदेय और बिजली बिल का भुगतान करने में होगा। इस शुल्क का उपयोग रखरखाव तथा मरम्मत के लिए एक मिस्त्री को रखने और उसके मानदेय के भुगतान हेतु भी किया जाएगा। साथहीसाथ मरम्मती के लिए सामान भी खरीदना होगा जिस पर हुये खर्च को आपके द्वारा दिये गये उपभोक्ता शुल्क से ही पूरा किया जायेगा। इस खर्चे का हिसाब हर माह में दिखाया जायेगा।

संग्रहित उपभोक्ता शुल्क को वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के बैंक खाते में जमा कराया जायेगा।

क्या पानी की प्राप्ति के लिए कोई शुल्क भी देना होगा ?

 घर में नल से पानी लेने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा, परन्तु इस नल जल योजना के रखरखाव एवं मरम्मती के लिए वार्ड में गठित वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति आम सहमति से कुछ न्यूनतम उपभोक्ता शुल्क मासिक तौर पर जमा करायेगी।

एक परिवार को प्रतिदिन कितना पानी मिलेगा?

पानी की पूर्ति
जितना जरूरत
होगा उत्तना मिलेगा । वैसे यह अनुमान लगाया गया है कि पीने के लिए एवं अन्य घरेलू उपयोग के लिए (अर्थात खाना बनाने, नहाने एवं शौच और पशुओं के पीने के लिए) औसतन 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन की जरूरत होती है।

यह ध्यान देने की बात है कि धरती पर हमारे इस्तेमाल के लायक पानी बहुत कम है और लगातार अधिक मात्रा में बिना जरूरत के पानी बर्बाद करने से आगे चल कर भूमिगत पानी भी उपलब्ध नहीं हो पायेगा। आपको विगत वर्षों में गर्मी के मौसम में चापाकल और बोरिंग के फेल होने का अनुभव भी है। इसलिए आपकी कोशिश होनी चाहिए कि नल के पानी
का
सही इस्तेमाल करें और इसे बर्बाद करें।

इस्तेमाल किये हुये बचे पानी को यहाँवहाँ नहीं फेंक कर एक नाली में सोखता गड्ढा में गिरायें गली नाली योजना में सोखता गड्ढ़ा निर्माण के लिए भी राशि उपलब्ध करायी गयी है। सोखता गड्ढ़ा द्वारा आप भूमिगत जल को फिर से रिचार्ज कर सकते हैं।

By Neha