Jaya
Kishori Biography in hindi | जया किशोरी जीवन परिचय
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जया किशोरी का जन्म 13 अप्रैल 1995 को राजस्थान के सुजानगढ़ में गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ। जया किशोरी का असली
नाम जया शर्मा है जया किशोरी पेशे से कोई साध्वी या संत नहीं है। यह एक सामान्य स्त्री है जो भजन तथा कथा वाचन का कार्य करती है जया किशोरी के पिता का नाम राधेश्याम जी हरितपाल हैं तथा इनके माता का नाम गीता देवी हरितपाल है Jaya
Kishori अपने परिवार में अपने सभी भाई बहनों से बड़ी है वर्तमान समय में यह कोलकाता में रहते हैं। तथा पूरे दुनिया भर में कथा वाचन का कार्य करते है। जया किशोरी ने बहुत ही कम उम्र में लोगों को भगवत गीता, नानी बाई का मायरा और नरसी की भात जैसी कथाओं को अपनी मधुर तथा मीठी आवाज के माध्यम से लोगों को सुनाया है Jaya Kishori एक प्रसिद्ध कथा वाचक है यह जहां कहीं पर भी कथा वाचन का प्रोग्राम करती है वहां पर लाखों की संख्या में लोग इन्हें सुनने के लिए आते हैं।
Jaya Kishori Jivani जया किशोरी जीवनी
Full |
जया शर्मा |
Nickname |
जया किशोरी |
Birth |
13 जुलाई, 1995 |
Birth Place ( जन्म स्थान ) |
सुजानगढ़, राजस्थान (भारत) |
Profession |
संगीत कलाकार |
Jaya
Kishori Educational, Qualification
जया किशोरी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा महादेवी बिरला वर्ल्ड अकैडमी कोलकाता से पूरी की। इसके बाद आगे कॉलेज की पढ़ाई में बीकॉम की डिग्री 2020 में पुरी की है पढ़ाई के साथ ही जया किशोरी भक्ति के मार्ग पर भी आगे बढ़ी, कई शास्त्रों, वेदों की शिक्षा प्राप्त की।
Jaya Kishori Career Journey
जया किशोरी का जन्म एक भारतीय ब्राह्मण परिवार में हुआ इस कारण इनके परिवार में भक्ति का माहौल बना रहता था बचपन से ही Jaya
Kishori को भगवान कृष्ण के प्रति काफी ज्यादा लगाव हो गया था, यह कृष्ण को अपना मित्र सक्का सब कुछ मानती थी और कृष्ण की भक्ति में हमेशा मधुर गीत गाती थी उनके परिवार में हनुमानजी का सुंदरकांड हमेशा पढ़ा जाता था इसके बाद से उन्होंने भजन कीर्तन गाना प्रारंभ किया और धीरे–धीरे यह कई अलग–अलग राज्यों में भी भजन कार्यक्रम करने का कार्य शुरू कर दिया।
जया किशोरी ने बहुत ही कम उम्र में संस्कृत में लिंगाष्ठ्कम, शिव तांडव स्त्रोतम, रामाष्ठ्कम आदि को गाना शुरू कर दिया था इनकी मधुर वाणी सभी को काफी पसंद आती थी इसके बाद मात्र 10 साल की उम्र में Jaya Kishori ने सुंदरकांड सुना कर लाखों भक्तों को आनंदित किया। इसके बाद से जया किशोरी काफी ज्यादा पॉपुलर होती गई। जया किशोरी जी का भजन जागरण का कार्यक्रम लोगों को काफी आकर्षित करता है क्योंकि लोगों को लगता था कि इतनी छोटी सी बच्ची और मीठी आवाज में इतना सुंदर कैसे गा सकती है और यही वजह थी कि Jaya Kishori की आवाज काफी मीठी और मधुर थी और उनके चहरे का तेज इन्हें किसी देवी से कम नहीं बताता था कई लोग इन्हे देवी के रूप में भी मानते हैं।
इसी तरीके से धीरे–धीरे जया किशोरी भगवान के भजन कीर्तन तथा कथाओं का वाचन करते हुए पूरे भारत में कई भक्तों के दिलों में बच गयी। बचपन से ही जया किशोरी भगवान कृष्ण की भक्ति करती आ रही है यह कृष्ण की भक्ति में नाचती तथा झूम उठती है।
जया किशोरी खाटू श्याम जी के दरबार में भी हर साल राजस्थान आती है और अपने पूरे परिवार के साथ यहां पर 2 से 3 दिन तक रूकती है और यही रात्रि में यहां पर भक्तिमय माहौल बनाकर लाखों भक्तों को भजन कीर्तन तथा कथाओं सुना कर भक्तिमय माहौल बना देती है।
जया किशोरी के गुरू पं. श्री गोविन्दराम जी मिश्र जी ने इनके भगवान श्री कृष्ण के प्रति प्रेम को देखते हुए Jaya
Kishori जी को “किशोरी जी” (Kishori Ji) की उपाधि दी।
जब जया किशोरी कथा वाचन तथा भजन जागरण का आयोजन करती है तो वहां पर दान पुण्य तथा चंदा के रूप में काफी पैसा इकट्ठा होता है जिसे यह अपने निजी उपयोग में न लेकर उदयपुर में स्थित नारायण सेवा संस्थान में दान दे देती है यह संस्था अपंग लोगों के उपचार में इस पैसे को लगाती है।
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