मंकीपॉक्स वायरस क्या है? | What is Monkeypox
Virus in Hindi
मंकीपॉक्स वायरस क्या है? कारण, लक्षण और उपचार | Monkeypox kya Hai? Causes, symptoms and
treatment, Monkeypox virus symptoms in Hindi
संयुक्त
अरब अमीरात और चेक गणराज्य में स्वास्थ्य अधिकारियों 25 मई, 2022 को अपने देश में मंकीपॉक्स वायरस के पहले मामले की पुष्टि
कर दी है। यूएई में वायरल बीमारी के मामले की पुष्टि पश्चिम अफ्रीका से यात्रा करने
वाली एक महिला में हुई थी। चेक गणराज्य में भी एक महिला में मंकीपॉक्स का मामला सामने
आया है, यह महिला बेल्जियम से एक उत्सव से लौटी थी।
चेक गणराज्य के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (एसजेडयू) ने
कहा कि परीक्षण किए गए तीन लोगों में से एक का नमूना मंकीपॉक्स रोग के लिए
सकारात्मक था, हालांकि अगले सप्ताह अंतिम परीक्षण के परिणामों की पुष्टि की जाएगी।
दो अन्य संदिग्ध मरीजों के परीक्षण पर अभी भी काम किया जा रहा था, साथ ही सभी को
निगरानी में रखा गया है।
इसके साथ ही मंकीपॉक्स के मामले बढ़कर 131 तक पहुँच चुके हैं और
106 लोग संदिग्ध है। वहीं अब देशों की संख्या 19 हो गई है, इसकी पुष्टि विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने की है। विशेषज्ञ इस घटना को “यादृच्छिक” लेकिन
“कंटेनेबल” के रूप में वर्णित करते हैं और संभवतः स्पेन और बेल्जियम में
हाल की लहरों में यौन गतिविधि से शुरू हुआ था। फिर भी, दुनिया अभी भी कोविड
महामारी के प्रभावों से जूझ रही है, एक अलग बीमारी का उदय कई लोगों को परेशानी में
डाल रहा है।
मंकीपॉक्स वायरस क्या है? What is monkeypox virus
मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस संक्रमण (Orthopoxvirus
infection) दुर्लभ बीमारी है जो कि चेचक या चिकनपॉक्स के सामान दिखाई देती है। यह बीमारी
सबसे पहले वर्ष 1958 में बंदरों में दिखाई दी थी, जिसके कारण इसे मंकीपॉक्स नाम दिया
गया। सन 1970 में एक युवा में सबसे पहले मंकीपॉक्स का मामला सामने आया था।
मंकीपॉक्स का उपचार कैसे किया जाता है? How is monkeypox
treated?
वर्तमान में, मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के लिए कोई सिद्ध,
सुरक्षित उपचार नहीं है। फ़िलहाल तक कोई मामला सामने आने पर ‘मंकीपॉक्स के प्रकोप
को नियंत्रित करने के प्रयोजनों के लिए, चेचक के टीके, एंटीवायरल और वैक्सीनिया
इम्यून ग्लोब्युलिन (VIG) का उपयोग किया जा सकता है।
मंकीपॉक्स का कारण क्या है? What is the cause of monkeypox?
मंकीपॉक्स एक फैलने वाली बीमारी है यह एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति
में बड़ी आसानी से फ़ैल सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर निकट
संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।
ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है। यह
रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम
से फैलता है। यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण
बनता है।
मंकीपॉक्स
वायरस के लक्षण क्या है? What are the symptoms of monkeypox?
मंकीपॉक्स के लक्षण बहुत जल्द सामने आने लगते हैं जिसमें सबसे
पहले हल्के से गंभीर बुखार हो सकता है। बुखार के साथ-साथ संक्रमित को मांसपेशियों
में दर्द, जकड़न और कमजोरी महसूस हो सकती है। इसके साथ ही जैसे-जैसे मंकीपॉक्स
की बीमारी बढ़ने लगती है वैसे-वैसे संक्रमित रोगी के लिम्फ नोड्स में सूजन आने लगती
है जो कि मंकीपॉक्स की सबसे बड़ी पहचान है।
मंकीपॉक्स होने पर रोगी के शरीर में पांच दिनों के भीतर शरीर
में चेचक यानि माता के निशान बनने लग जाते हैं जिससे रोगी को और भी कई समस्याओं का
सामना करना पड़ता है। मंकीपॉक्स होने पर रोगी को मुख्य तौर पर निम्नलिखित
लक्षण दिखाई देते हैं
1.
बुखार
2.
सिर
दर्द
3.
मांसपेशियों
में दर्द
4.
पीठ
दर्द
5.
सूजी
हुई लसीका ग्रंथियां (swollen lymph nodes)
6.
ठंड
लगना
7.
थकावट
बुखार
आने के 1 से 3 दिनों के भीतर (कभी-कभी अधिक) रोगी को एक दाने का विकास होता है, जो
अक्सर चेहरे पर शुरू होता है और फिर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है।
मंकीपॉक्स की वजह से बने घाव ठीक होने
से पहले निम्नलिखित चरणों से गुजरते हैं
1.
उपरंजकयुक्त
(Macules)
2.
पपुल्स
(Papules)
3.
पुटिकाओं
(Vesicles)
4.
छाले
(Pustules)
5.
स्कैब्स
(Scabs)
मंकीपॉक्स
21 दिनों के भीतर अपने आप ठीक हो जाती है। गंभीर मामलों में रोगी को अस्पताल में
दाखिल करवाना पड़ता है।
मंकीपॉक्स
वायरस कैसे फैलता है? How does the monkeypox virus spread?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर
के तरल पदार्थ, या फर को छूने से हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों और
गिलहरियों जैसे कृन्तकों (rodents) द्वारा फैलता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने
से भी इस बीमारी को पकड़ना संभव है जिसे ठीक से पकाया नहीं गया है उससे भी यह फ़ैल
सकता है। फ़िलहाल, वर्तमान समय तक अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिसमें
मंकीपॉक्स किसी जल में रहने वाले जीव से फैला हो या किसी जलधारी जीव में देखा गया
हो।
अगर मंकीपॉक्स के मनुष्य से मनुष्य में फैलने के बारे में बात
कि जाए तो यह संक्रमित के संपर्क में आने से फैलता है। अगर कोई व्यक्ति मंकीपॉक्स
से संक्रमित है तो उसके सांस, छींकते, खासतें या अन्य किसी तरह से श्वसन कणों की
बूंदों के संपर्क में आने से हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति या स्वास्थ्य कार्यकर्ता
लंबे समय तक मंकीपॉक्स रोगी की देखरेख करता है तो उसे भी मंकीपॉक्स होने की आशंका
होती है।
यह चेचक के टीकाकरण की समाप्ति के कारण सभी समुदायों में घटती
प्रतिरक्षा को प्रदर्शित कर सकता है। मां से भ्रूण (जिससे जन्मजात मंकीपॉक्स हो
सकता है) या जन्म के दौरान और बाद में निकट संपर्क के दौरान प्लेसेंटा के माध्यम
से भी संचरण हो सकता है।
सेक्स करने यानि शारीरिक संबंध स्थापित करने से भी मंकीपॉक्स
होने की आशंका काफी ज्यादा है जिसके बारे में हम ऊपर पहले ही विस्तार से बात कर
चुके हैं।
मंकीपॉक्स
की नैदानिक विशेषताएं क्या हैं? What are the clinical features of monkeypox?
मनुष्यों में, मंकीपॉक्स चेचक के समान है, सिवाय इसके कि लिम्फ
नोड्स (लिम्फैडेनोपैथी) का बढ़ना मंकीपॉक्स से जुड़ा है। एक्सपोजर के लगभग 12
दिनों के बाद, बीमारी बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजन लिम्फ
नोड्स, बेचैनी की एक सामान्य भावना और थकावट से शुरू होती है। बुखार आने के 1 से 3
दिनों के भीतर (कभी-कभी लंबे समय तक), रोगी को एक दाने (यानी उभरे हुए धक्कों) का
विकास होता है, अक्सर पहले चेहरे पर लेकिन कभी-कभी शुरू में शरीर के अन्य हिस्सों
पर। घाव आमतौर पर क्रस्टिंग और गिरने से पहले कई चरणों में विकसित होते हैं।
क्या मंकीपॉक्स घातक है? Is monkeypox fatal?
मंकीपॉक्स कितना घातक है यह आप इस बात से समझ सकते हैं कि यह
बहुत ही कम दिनों में 19 देशों में दस्तक दे चूका है। इस गंभीर बीमारी की वजह से
रोगी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें त्वचा संबंधित समस्याएँ भी है
जो कि उम्र भर तक साथ रह सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो मंकीपॉक्स के
हर 10 रोगियों में से एक की जान जाने का खतरा रहता है। फ़िलहाल, सामने आए मामलों
में से अभी तक किसी भी रोगी के जान जाने की खबर नहीं है।
मंकीपॉक्स वायरस तेजी से क्यों फैल रहा है? Why is the
monkeypox virus spreading so fast?
वायरस सबसे छोटे कण होते हैं जिन्हें जीवित के रूप में वर्गीकृत
किया जा सकता है। कई बार भौतिक अवरोध उन्हें रोक नहीं पाते हैं और एक जीव से दूसरे
जीव में विषाणुओं को संचारित करने के लिए बहुत कम संख्या में कणों की आवश्यकता
होती है। मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों/मनुष्यों के शरीर के स्राव के स्पर्श/संपर्क
से फैल सकता है और इसलिए यह तेजी से फैल रहा है। अनुमानित संचरण दर 3।3% से 30%
है, लेकिन कांगो में हाल ही में फैलने की अनुमानित संचरण दर 73% थी।
मंकीपॉक्स, चेचक या चिकनपॉक्स से कैसे अलग है? How is monkeypox different from smallpox or chickenpox?
चिकनपॉक्स या चेचक मंकीपॉक्स से ज्यादा अलग नहीं है। दोनों के
ही लक्षण और समस्याएँ काफी सामान है। लेकिन लिम्फ नोड्स में आई सूजन मंकीपॉक्स की
सबसे बड़ी पहचान है। चेचक होने पर शरीर में फफोले बनते हैं जो कि मंकीपॉक्स में भी
होते हैं और साथ ही बाकी लक्षण भी दिखाई देते हैं, लेकिन इसमें लिम्फ नोड्स में
सूजन नहीं आती। मंकीपॉक्स होने पर लिम्फ नोड्स में काफी सूजन आती है जो कि इसकी
पहचान है।
क्या मंकीपॉक्स वायरस अगली महामारी होगी? Will monkeypox virus be
the next pandemic?
विशेषज्ञों का मानना है कि इसके वैश्विक महामारी में बदलने का
जोखिम कम है। लेकिन विचित्र बात यह है कि मामलों को एक समान स्रोत या संपर्कों का
पता नहीं लगाया गया है और इसलिए यौन जैसे संचरण के एक अन्य तरीके पर भी विचार किया
जा रहा है।
मंकीपॉक्स होने का खतरा किसे है? Who is at risk of getting monkeypox?
मंकीपॉक्स के मामले आम तौर पर मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में सबसे
आम हैं, उन लोगों में जो हाल ही में उन क्षेत्रों की यात्रा करते हैं, और जिन
लोगों का आयातित जानवरों के साथ संपर्क रहा है। लेकिन हाल ही में अफ्रीका के बाहर
उन लोगों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, जिन्होंने यात्रा नहीं की है।
इसलिए इसका खतरा फ़िलहाल किसे ज्यादा है इस बारे में कुछ भी सटीक नहीं कहा जा सकता।
क्या मंकी पॉक्स एयरबोर्न है? Is Monkey Pox Airborne?
COVID-19 के विपरीत, जो मुख्य रूप से हवाई संचरण और छोटी बूंदों
के गुजरने से फैलता है, मंकीपॉक्स निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से अनुबंधित होता
है।
क्या मंकीपॉक्स को मौसमी मानने का कोई कारण है? Is there any
reason to think monkeypox is seasonal?
वर्ष के उस समय में जब लोग घर के अंदर से अधिक बाहर होते हैं,
आप अधिकांश संक्रमणों, विशेष रूप से श्वसन संक्रमणों में गिरावट की अपेक्षा करते
हैं। यह संपर्क द्वारा प्रेषित होता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि हम इसे मौसमी के
रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं।
मंकीपॉक्स को लेकर क्या भारत को चिंता करनी चाहिए? Should India
worry about monkeypox?
भारत में अब तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है,
लेकिन भारत अभी से ही इसे लेकर अलर्ट मोड़ में आ चूका है और इस बाबत कई तैयारियां
शुरू की जा चुकी है। सोमवार को मुंबई के बृहन्मुंबई नगर निगम (Brihanmumbai
Municipal Corporation – BMC) ने कस्तूरबा अस्पताल में मंकीपॉक्स के संदिग्ध
मरीजों के लिए 28 बेड का आइसोलेशन वॉर्ड तैयार कर दिया है। हालांकि, अभी देश में
इस बीमारी का एक भी मामला नहीं मिला है।
दुनिया भर में तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए नेशनल सेंटर
फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) – National Center for Disease Control और इंडियन
काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) – Indian council of medical research को अलर्ट
जारी किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों के अधिकारियों
को निर्देश दिए हैं कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे किसी भी
बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट करें और सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल
इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) – National Institute of Virology (NIV), Pune को
भेजें।
बता दें कि सोमवार को बेल्जियम के बाद ब्रिटेन ने भी मंकीपॉक्स
के मरीजों के लिए 21 दिन का क्वारैंटाइन पीरियड कंपलसरी कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शीर्ष सरकारी संस्थान के एक
जीवविज्ञानी ने कहा कि “बड़ी समस्या यह है कि बीमारी का निदान करने के लिए
आवश्यक पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) परीक्षण भारत में व्यापक रूप से उपलब्ध
नहीं है, और अधिकांश चिकित्सक इस बीमारी के विशिष्ट लक्षणों और बीमारी के बारे में
जागरूक नहीं हो सकते हैं”।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जोखिम कारकों के बारे में
जागरूकता बढ़ाना और वायरस के जोखिम को कम करने के लिए वे जो उपाय कर सकते हैं,
उनके बारे में लोगों को शिक्षित करना, मंकीपॉक्स की रोकथाम की मुख्य रणनीति होनी
चाहिए। वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील, ग्रीन टेम्पलटन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड
विश्वविद्यालय में एक साथी और अशोक विश्वविद्यालय में एक अतिथि प्रोफेसर ने इस
बारे में कहा कि “मुझे वास्तव में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, कम से कम
आयातित मामलों के बारे में तो नहीं। भारत में हर शहर में खुलेआम घूमने वाले बंदर
हैं, लेकिन हां, जागरूकता जरूरी है।’
मंकीपॉक्स का निदान कैसे किया जाता है? How is monkeypox
diagnosed?
निदान ऊतक के नमूनों द्वारा होता है, जो हमें निदान उपचार देता
है, यह ज्यादातर स्वयं सीमित है और दो से तीन सप्ताह के समय में ठीक हो जाता है।
क्या मंकीपॉक्स वायरस से बचाव संभव है? Is it
possible to prevent monkeypox virus?
हाँ,
मंकीपॉक्स से अपना बचाव किया जा सकता है, लेकिन इसमें कितनी सफलता मिलेगी इस
बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। स्वयं को मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से
बचाने के लिए आप निम्न वर्णित कई उपायों को अपना सकते हैं
1. उन
जानवरों के संपर्क में आने से बचें जो वायरस को शरण दे सकते हैं (उन जानवरों सहित
जो बीमार हैं या जो उन क्षेत्रों में मृत पाए गए हैं जहां मंकीपॉक्स होता है)।
2. किसी
बीमार जानवर के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री, जैसे बिस्तर, के संपर्क में
आने से बचें।
3. संक्रमित
रोगियों को अन्य लोगों से अलग करें जिन्हें संक्रमण का खतरा हो सकता है।
4. संक्रमित
जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में आने के बाद हाथ की अच्छी स्वच्छता का अभ्यास
करें। उदाहरण के लिए, अपने हाथों को साबुन और पानी से धोना या अल्कोहल-आधारित हैंड
सैनिटाइज़र का उपयोग करना।
5. मरीजों
की देखभाल करते समय व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का प्रयोग करें।
6. अगर आप
किसी के साथ सेक्स करते हैं तो ध्यान रखें कि आपके साथी को मंकीपॉक्स के लक्षण तो
नहीं है या विदेश यात्रा का कोई इतिहास तो नहीं है (खासकर वो देश जहाँ फ़िलहाल
मंकीपॉक्स के सामने आ रहे हैं या अफ़्रीकी देश)। सेक्स करने के दौरान कंडोम का
इस्तेमाल जरूर करें। कंडोम का इस्तेमाल ओरल सेक्स के दौरान भी जरूर करें।