जूली
झा गायिका जीवनी Juli Jha biography in hindi

Juli Jha Jivan Parichay

जूली झा प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक विवरण

जूली झा मैथिली गायिका का जन्म 18 फ़रवरी 2000 को दरभंगा जिला के रैयाम नया
गाँव बिहार में हुआ था जूली झा का पिता का नाम मनोज झा है। जूली झा बहुत सारे स्टेज
शो करती हैं और विद्यापति समरोह में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं।

जूली
झा मैथिली गीत इंटरनेट पर और जनता के बीच बहुत लोकप्रिय है। जूली झा एक परफॉर्मर हैं।
जूली झा मैथिली गीत में मैथिली भजन और मैथिली लोक गीत दोनों शामिल हैं। जूली झा छठ
पूजा गीत, भोला नाथ के नचारी गाती हैं, और मैथिली लोक गीत खंड में भी, वह मैथिली विवाह
गीत और सोहर गीत गाती हैं। वह मैथिली गंगा, मिथिला जंक्शन, एपी दरभन्हा म्यूजिक प्रोडक्शन
हाउस के साथ मिलकर गाती हैं। उनके कुछ गानों ने YouTube यूट्यूब पर लाखों का आंकड़ा पार कर लिया है। जूली झा मैथिली गीत
प्यार, रोमांस, पति की लालसा से संबंधित बहुत लोकप्रिय है। वास्तव में उनका मैथिली
लोकगीत खंड जनता और इंटरनेट पर अधिक लोकप्रिय है। माधव राय के साथ जूली झा लॉन्ग कई
स्टेज शो करती हैं। माधव राय और जूली झा दोनों ही अच्छे कलाकार हैं और अपने मैथिली
रोमांटिक गीत के साथ वे दोनों जनता और युवा दोनों के दिल में राज करते हैं।

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Juli Jha Maithili Singer | July Jha Maithili Gayak

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जूली झा के द्वारा किया गया महाकवि विद्यापति समारोह का विवरण

मधुबनी। मिथिलांचल सर्वांगीण विकास संस्थान बेनीपट्टी के द्वारा आयोजित
36वां तीन दिवसीय मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह के तीसरे दिन शनिवार की रात संस्थान
के अध्यक्ष अमरनाथ झा भोलन एवं संस्था के मुख्य संरक्षक व वरिष्ठ समाजसेवी नंद कुमार
झा तथा उपाध्यक्ष डॉ. एमटी रेजा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया।
इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष श्री झा ने कहा कि महाकवि विद्यापति लोक भाषाओं के आदि 

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रचनाकार व हमारी संस्कृत के आदर्श पुरुष व राष्ट्र की विभूति थे। मिथिला राज्य की स्थापना
व मैथिली मिथिला के उत्थान व विकास पलायन को रोकने, रोजगार व बंद पड़े उद्योग धंधे को
चालू किये जाने एवं आर्थिक आजादी को लेकर आंदोलन की आवश्यकता है। संस्थान विगत 36 वर्षो
से मिथिला, मैथिली के विकास के लिए निरंतर आवाज उठा रही है। सरकार प्राथमिक व उच्च
विद्यालयों में मैथिली के शिक्षक को बहाल करें। इस अवसर संस्थान के मुख्य संरक्षक व
वरिष्ठ समाजसेवी नंद कुमार झा ने कहा कि मिथिला की संस्कृति की विश्व में एक अलग पहचान
है। वहीं महाकवि विद्यापति अपनी रचना के माध्यम से समाज में फैले कुरीतियों को समाप्त
करने में सार्थक साबित हुए थे। मिथिला की संस्कृति अद्भुत है। महाकवि विद्यापति लोक
भाषाओं के आदि रचनाकार है। मिथिला ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है जहां मिथिला में विद्वान
व विभूतियों का भंडार है। महाकवि विद्यापति की रचना बाल विवाह व समाज में फैले कुरीतियों
को दूर करने में सार्थक साबित हुई। विद्यापति मिथिला की पहचान है साथ ही हमारी संस्कृति
के आदर्श पुरुष हैं। विश्व में मिथिला की संस्कृति को गौरव के रूप में देखा जाता है।
मैथिली आठवीं अनुसूची में शामिल है। जहां युपीएससी में मैथिली विषय से चयन हो रहा है
दुख की बात है कि हम अपनी भाषा को भूल रहे हैं।

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