डाक्टर
मोहन मिश्रा जीवन परिचय | Dr. Mohan Mishra Biography in hindi
Dr. Mohan Mishra Jivani
Dr. Mohan Mishra डॉ
मोहन मिश्रा का जन्म 19 मई 1937 को मधुबनी
जिला के कोइलख गाँव बिहार में हुआ था। डॉ मोहन मिश्रा दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिसीन विभाग के एचओडी HOD चुके है। उनको राष्ट्रपति से ‘पद्मश्री
पुरस्कार भी मिल चूका है।
डॉ मोहन मिश्रा का कैरियर की शुरआत
वर्ष 1962
में दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर के रूप में
उन्होंने अपना कैरियर शुरू किया, जहां वे 1995 तक रहे। 1979 में जनरल मेडिसिन
विभाग के प्रोफेसर बन गए।
1984 में उन्होंने एक और उच्च डिग्री एडिनबरा से प्राप्त की। दो साल
बाद 1986 में वे DMCH में जनरल मेडिसिन
विभाग के प्रमुख बने। 1988 में लंदन से FRCP भी हासिल किया। 1995 में वे सेवानिवृत्त
हुए, लेकिन अंतिम समय तक मरीजों का इलाज करते रहे।
डॉ मोहन मिश्रा का शैक्षणिक योग्यता Educational Qualification of
Dr. Mohan Mishra
डॉ
मोहन मिश्रा 1988 में लंदन से FRCP किया है।
डॉ मोहन मिश्रा वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन
में पंजीकृत हुआ शोध
मोहन मिश्रा का ऐसे में उनका ध्यान आयुर्वेद
की तरफ गया तो ब्राह्मी के पौधे की विशेषता की जानकारी हुई. इस विषय में उन्होंने काफी
जानकारी जुटाई. आयुर्वेद के कई डॉक्टरों से बात की. फिर इस पौधे से डिमेंशिया के इलाज
पर रिसर्च का निर्णय लिया. डॉ. अजय कुमार मिश्र और डॉ. उद्भट मिश्र के साथ जून
2015 से मई 2016 तक 12 मरीजों पर रिसर्च किया गया।
इस शोध को वे 25 और 26 जून, 2018 को लंदन के
रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन के इनोवेशन इन मेडिसीन सम्मेलन में प्रस्तुत कर चुके हैं. उनके
इस रिसर्च को ब्रिटिश जर्नल में जगह दी गई थी. वहीं, यह शोध वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन
में पंजीकृत हुआ है।
डॉ मोहन मिश्रा को मिलने वाला पुरस्कार और सम्मान
कालाजार पर शोध के लिए वर्ष 2014 में मोहन मिश्रा को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा
‘पद्मश्री‘ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा डॉ. मोहन मिश्रा ने ब्राह्मी के पौधे से डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी की दवा का भी ईजाद किया था। उनके इस रिसर्च को ब्रिटिश जर्नल में भी जगह दी गयी थी। उनका यह शोध वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन में भी पंजीकृत किया गया है। सेवानिवृत्ति (Retirement) के बाद वे अपने आवास पर ही मरीजों का इलाज करते थे। डॉक्टर मोहन मिश्रा न सिर्फ
भारत, बल्कि विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त डॉक्टर थे।
(1) पद्म श्री
(2) डॉ॰ राजेन्द्र प्रसासद ओरेशन अवार्ड
(3) दिल्ली प्रशासनिक पुरस्कार
(4) विशिंग शेल्फ अवार्ड
डॉ मोहन मिश्रा का डिमेंशिया बीमारी पर किया गया रिसर्च
विश्व
में डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी पर प्रभावी और सर्वमान्य रिसर्च नहीं हो सका था.
लेकिन दरभंगा के डॉ.मोहन मिश्रा ने ब्राह्मी
नामक पौधे से इस बीमारी के इलाज में सफलता पाई थी उनके इस रिसर्च को ब्रिटिश जर्नल
में जगह दी गई थी उन्हें कालाजार पर शोध के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिसीन
विभाग के एचओडी रहे डॉ. मिश्रा वर्ष 1995 में सेवानिवृत्त हुए थे इसके बाद वे बंगाली
टोला स्थित घर पर मरीजों को देखने लगे इस दौरान उनके पास डिमेंशिया के कई मरीज आते
थे इसकी कोई सटीक दवा नहीं होने के कारण बहुत फायदा नहीं होता था।
डॉ मोहन मिश्रा का पारिवारिक विवरण Family Detail of Dr Mohan
Mishra
जीवनसाथी
मंजुला मिश्रा बच्चे मटंगी, मुक्ताकेशी, नरोत्तम, उदभट्ट
डॉ मोहन मिश्रा का मृत्यु कब हुआ?
बिहार के प्रख्यात डॉ. मोहन मिश्रा
का 6 मई 2021 को हार्ट अटैक से लहेरियासराय के बंगाली टोला स्थित आवास पर निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे।